तुम्हारी रहमत

तुम्हारी रहमत, ना जिस्म हमारा , ना रूह हमारी , मुस्कान भी तेरी ,बुनयादी नाम तेरा दिया , दिल भी तेरा , यह जान भी तेरी सब कुश तेरा न कुश मेरा, तू ही तू तेरा ही तेरा : " Your Mercy "

गुरुवार, 17 जनवरी 2013

रिश्ते बनाने से नहीं बनते...मालिक की रहमत से बनते है

रिश्ते बनाने से नहीं बनते...मालिक की रहमत से बनते है

रिश्ते बनाने से नहीं बनते .. मालिक की रहमत से बनते है  ..जी कुश ही दिनों में एक दुसरे को मिले    रेक्टर कथूरिया जी " पंजाब स्क्रीन " हमारे  मुलाकात हुई  लुधियाना में उसके बाद हम पठानकोट में मिले ..इन्होने हमारी पठानकोट में की गयी परफॉरमेंस को अपने ब्लॉग में उतरा .अच्छे इंसान है  अपने काम के प्रति फौक्स है . जो बात दिल में  वो ही जुबान पर . मालिक की रहमत से फैमिली रिलेशन बना ..मेरे पिता जी के अच्छे दोस्त है . मालिक इनको सदा खुश रखे ..इनके परिवार के सदस्य को भी मेरा दिल से नमस्कार . मालिक के रंग बहुत रंगीले है सच में  ..दुनिया  जो रचाई  बहुत खूबसूरत रिश्तों की माला बनाई , माँ , बाप,भाई,,बहन,अच्छे दोस्त ,बुजुर्ग ,दादा ,दादी परदादा , परदादी हर रिश्ते को नए  नाम से  उतारा  इस दुनिया में ..सब खुश रहे यह  मेरी  तरफ से हमारे परिवार की  तरफ से ईश्वर के आगे प्राथना है .

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