तुम्हारी रहमत

तुम्हारी रहमत, ना जिस्म हमारा , ना रूह हमारी , मुस्कान भी तेरी ,बुनयादी नाम तेरा दिया , दिल भी तेरा , यह जान भी तेरी सब कुश तेरा न कुश मेरा, तू ही तू तेरा ही तेरा : " Your Mercy "

मंगलवार, 22 जनवरी 2013

अभी रात के ३ बजे हैं मुझे नींद ...



अभी  रात के  ३ बजे हैं मुझे नींद नहीं आ रही .. बैठे बैठे  रहमत से कुश लिख रहा हूँ ...यह तो

मैं भी नहीं जनता की किस के लिए . लकिन लिख रहा हूँ जो यह लिखवा रहा है ..अपने बच्चे से

...तेरे रहमत तू ही जाने..



रिश्ते नाते  बन जाते है ,, निभाने वालो की अलग अदा होती है . वो उस अदा से पहचाने जाते हैं  यूं तो दुनिया में सभी अपने होते हैं ...मगर कुश अपने ही कभी कभी पराये हो जाते है ..
भुलाना चाहे तो भूलते नहीं , फिर भी वो अपने कहलाते है ...कई बार ज़ख़्म देकर उस पर दवा भी लगाते हैं


और फिर किसी की बहकावे में आकर पराये बन जाते है ..हम देखते है बदलते रंग को किस तरहां अपना रंग बदल जाते है .सामने आते ही आब आब हो जाते हैं दिल ही दिल में वो घबराते है

 ..हमारा दिल तो वो समुन्दर है जिसमे सब उतर जाते है .फिर  आपबीती हमें सुनाते है ..फिर किसी को आसिम कहकर खुद अपनी इज्ज़त को बचाते हैं. चहरे पर इब्तिसाम ..पिलाते है प्यार का जाम ...वाह दोस्त वाह लकिन फिर भी वो घबराते है

हम ही उनके लिए दुआ करते हैं ... सलामत रहो तुम सदा ,, रहम हो तुझपर ... ...प्यारे दोस्त  दोस्ती के लिए तुभी मेरे लिए एक
कर फ़रियाद ..

रिश्ता जो बने वो
टूटे  ना , फूल जो खिले वो मुरझाये ना ,खुश रहे संसार , सबका हो आपस में प्यार ...बड़े , बुजुर्गों सबका हो सत्कार , बचे हो सबके आज्ञाकारी ,सेवा भाव से , इज्ज़त से नवाजे सबको मेरे यार ..दुःख तकलीफों से मुक्त हो संसार  ..मेरे लिए करदे इतनी सी फरियाद कियोंकी  करता हूँ  मैं सबसे अपने इश्क का इसहार सब में वो हैं रूह जिससे मुझे है प्यार ... मिला है उपरवाले से सबको उपहार ..रूह का रूह से हो प्यार ..... जीवन का .सबका हो सुहाना सफ़र प्यारे यार ....तुझको मेरा प्यार ....सबको सग्गी की तरफ से प्यार भरा नमस्कार ...परनाम ----

गौरव सग्गी  

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